• |
समाचार भिडियो अडियो विविध हाम्रो बारेमा

विचार

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवसः २१ फरवरी

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवसः २१ फरवरी

-अजय कुमार झा

यूनेस्को (UNESCO) अर्थात् संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन संयुक्त राष्ट्रक एक घटक अछि । एकर उद्देश्य शिक्षा, प्रकृति, समाज, भाषा, संस्कृति तथा संचारक माध्यमसँ अन्तर्राष्ट्रीय शांतिकेँ बढावा देवाक अछि । युनेस्को द्वारा सन् १९९९ मे २१ फरवरीकेँ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषणा भेलाक बादसँ हरेक वर्ष संसारभरि मातृभाषा दिवस मनाओल जायत अछि । भाषा, संस्कृति एवं बहुभाषावादके पक्षपोषण केनाय एहि दिवसक कार्य अछि । बांग्लादेश द्वारा मातृभाषा दिवसक पहल भेल छल । १६ डिसेम्बर १९७१ में पाकिस्तानसँ अलग भेल बांग्लादेशक स्वतन्त्रता आन्दोलनक मूल कारण मातृभाषा अधिकारक लेल संघर्ष अछि ।

        अजय कुमार झा

मनुष्य अपन जीवन में जतेक ज्ञान प्राप्त करैत अछि, ताहि में जीवनक आधारभूत ज्ञान शैशव काल में प्राप्त होयत अछि । नाम, बोली, भाषा ओहि आधारभूत ज्ञानमें पडैत अछि । ओ परिवेश, जाहिमे ओ गढल बढल जायत अछि, विकसित–पल्लवित होयत अछि, से ओकर ज्ञानक आधारभूत स्रोत होयत अछि । मनुष्य जे भाषा पहिने सिखेत अछि, से ओकर मातृभाषा भऽसकैत अछि । मनुष्यक पहिचानक आधार भूखण्ड, भाषा आ संस्कृति छिएक । ओ भाषा जे जमिनसँ जुडल हो, से मातृभाषा छिएक । गांधीके कथन छलनि जे मातृभाषाक स्थान दोसर भाषा नहि लऽ सकैत अछि । गायक दूध मायक दूध नहि भऽ सकैछ ।
मातृभाषा अधिकारक सन्दर्भ आधुनिक प्रतीत होयत अछि । मुदा मातृभाषाक चिन्तन वैदिक व्यवस्थामें सेहो पाओल जायत अछि । ऋग्वेदक सूक्त अछि— इला सरस्वती मही तिस्त्रो देवीर्मयोभुवः । अर्थात् हे मातृ–भाषा, मातृ–संस्कृति आ मातृ–भूमि सुखकारिणी देवी स्थिर भऽ हमर हृदयमे विराजु । एहि सूक्त में इलाक अर्थ संस्कृति, महीक अर्थ मातृभूमि आ सरस्वतीक अर्थ मातृभाषा बताओल गेल अछि । एहि सुक्त मे मातृभाषाक वैश्विक भाव अन्तर्निहित अछि । सरस्वती शब्दक अभिप्राय वाक् शक्तिसँ अछि, भाषासँ अछि । वैदिकी भाषा, जाहिमे वेद लिखल गेल अछि, अपन समयक प्रमुख भाषा छल । जकरा संस्कृत कहल जायत अछि । विद्वानसभक कथन छनि जे वेदकालीन समयमे जनपदसभमे अनेक ‘प्राकृत’ प्रचलित छल ।
‘प्राकृत’क अर्थ प्रकृतिसँ सम्बन्धित अर्थात् प्राकृतिक अथवा संस्कार नहि कयल गेल बुझल जायत अछि । संस्कृत भाषाक प्रचलनसँ पहिने बोलल जायवाला भाषा आ संस्कृत भाषाकसँगे असंस्कृत रूपमे बोलल जायवाला अर्थात् लोकभाषासभकेँ प्राकृत कहल जायत अछि । संस्कृतक प्रचलनसँगे प्रचलनमें आयल प्राकृत भाषाक मुख्य सात गोट भेद मानल जायत अछि । जेना मागधी, आवन्ती, प्राच्य, शौरसेनी, अद्र्धमागधी, वाह्लिक आ दाक्षिणात्य । वर्तमान बांग्ला, मराठी, मैथिली, अवधी जेहन बोली प्राकृतसँ विकसित भेल अछि । प्रत्येक प्राकृत भाषा अपन अपन परिवेशमे मातृभाषाक दर्जा रखैत अछि । एहि भाषासभक लेल वैदिक सूक्तमे ‘सरस्वती’ शब्दक उल्लेख भेल मानल जायत अछि ।

मातृभाषाक संरक्षणक प्रसंग उठला पर मातृभाषा किएक पढी ? कि ई हमरा रोजगारी दऽ सकैत अछि ? एहेन प्रश्न प्रायः उठैत अछि । आर्थिक रूपसँ पाछाँ पडल समुदायमें ई प्रश्न स्वाभाविक भऽ जायत छैक । मातृभाषा संरक्षणक आधारभूत जग निर्माण नहि भेलासँ मातृभाषाके जोगेनाई विशाल चुनौती बनल अछि ।

नेपालमे कोन–कोन भाषा बोलल जायत अछि । नेपाली नामक कोनो भाषा नहि छलैक । ऐतिहासिक नेपाल मण्डल नामक भूमिके भाषाक नाम नेपाल भाषा अछि । ऐतिहासिक नेपाल मण्डल पूर्वमे कुशेश्वर (सुनकोशी, सिन्धुली), पश्चिममे केवलपुर (धादिङ), उत्तरमे रसुवाक ओहिपार केरुङ नाका आ दक्षिणमे टिस्टुङ (मकवानपुर) के इलाका अछि । पृथ्वी नारायण शाहद्वारा स्थापित शासन ‘खस भाषा’केँ नेपाली भाषा नाम दऽ शासकीय भाषाक रूपमे स्थापित केलक । खस भाषा खस समुदायक भाषा छिएक ।
नेपाल एक बहुराष्ट्रिय, बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक, बहुजातीय, बहुभाषिक देश अछि । वर्तमान नेपालमे हिमाल, पहाड आ मधेश मे बोलय वाला भाषा अलग अलग अछि । देशभरिमे १२३ गोट भाषा प्रचलित अछि । मधेशमें मैथिली, मगही, भोजपुरी, अवधी, बज्जिका । वज्जिका मैथिलीक उपबोली मानल जायत अछि । टोन में मात्र किछ अंतर होयत अछि । वाक्य विन्यास में बहुत हद तक समानता देखल जायत अछि । मैथिली भाषा बहुत ऐतिहासिक अछि । रामायण आ विद्यापति के कालसँ एहि भाषामे रचना होयत आयल अछि ।
मैथिली भारतक उत्तरी बिहार आ नेपालक पूर्वी मधेसमे बाजल जाइत अछि । भाषाशास्त्रीक अनुसारे बङ्गाली, आसामी, उडिया, नेपालीसँ मैथिलीक निकट सम्बन्ध अछि । ई भाषाक अपन लिपि अछि, जकरा तिरहुता लिपि कहल जाइत अछि । मुदा मैथिलीक प्रयोग देवनागरीमें भऽ रहल अछि । एहि अर्थमें मैथिलीक लिपि आई असान्दर्भिक भऽगेल अछि । ताहिकारणें मैथिली भाषाक संरक्षणदिस जोडदार आवाज उठि रहल अछि । भारतमें संविधानक आठम अनुसूचीमें मैथिली भाषाकेँ समावेश कऽल गेल अछि । नेपालमें नवसंविधानक मुताबिक देशके सम्पूर्ण मातृभाषाकेँ राष्ट्रभाषा कहल गेल अछि ।
भारतीय संविधानक आठम् अनुसूची भारतके भाषासभसँ सम्बन्धित अछि । एहि अनुसूची में २२ टा भारतीय भाषासभके शामिल कऽल गे अछि । आरम्भमे संविधानमे १४ टा भाषाकेँ सामेल कऽल गेल छल । सन् १९६७ ई. में सिन्धी भाषाके अनुसूचीमें जोडल गेल । तकर बाद कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा आ नेपाली भाषाके १९९२ ई. में जोडल गेल । हाले २००३ में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा आ संथाली भाषा सामेल कऽल गेल अछि । नेपालमे नेपाली भाषाकेँ सरकारी कामकाजक भाषा मानल गेल अछि । प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषाक विषयमें भाषा आयोग गठन कऽल गेल अछि । भारतीय संविधानक भाषा अनुसुचीमे कोनो भाषाक समावेशक अर्थ शैक्षिक अध्ययन, सेवा आयोग परीक्षा आ आन प्रयोजनमें ओही भाषाक आधिकारिताक सुविधा होयत अछि ।
भारत, नेपाल आ विश्वके अनेक देशमें मैथिलीक प्रयोग कऽल जायत अछि । भारतके लगभग ५.६ प्रतिशत आबादी लगभग ७–८ करोड लोग मैथिलीके मातृभाषाक रूपमे प्रयोग करैत अछि । मैथिली नेपालके दोसर सभसँ पैघ भाषा अछि । सरकारी तथ्यांक अनुसार २८ लाख देशवासीके मातृभाषा मैथिली अछि । मैथिली विश्वके सर्वाधिक समृद्ध आ मिठाशपूर्ण भाषासभमेसँ एक मानल जायत अछि । नेपालमे मैथिली तराईक जिलासभ धनुषा, सर्लाही, महोत्तरी, सिरहा, सप्तरी, सुनसरी आ मोरङमे बाजल जाइत अछि । मैथिली प्राथमिक शिक्षाक रूपमे विद्यालयसभमे प्रयोग कएल गेल अछि ।
मैथिली भाषाक उत्पति प्राचीन मिथिलासँ आएल अछि । प्राचीन मिथिला क्षेत्र चुरियासँ दक्षिण, गण्डक नदीसँ पूर्व, गंगा नदीसँ उत्तर आ कोशी नदीसँ पश्चिम मानल जायत अछि । कोशी नदि अप्पन प्राकृतिक अवस्थासँ सौ सवा सौ माइल पश्चिममे अखन बहि रहल अछि । कोशी बाँध आ ब्यारेज बनलाक बादसँ कोशीक पश्चिम प्रवाह अवरुद्ध भेल अछि । मैथिली भाषी क्षेत्र अखनो कायम अछि ।
मातृभाषा दिवसक अवसर पर अपन अपन मातृभाषाक संरक्षण, विकास आ प्रयोगमे अभिवृद्धिक लेल सभके यथाशक्य प्रयास करक चाही । मातृभाषाक संरक्षण हेतु सभके अपन अपन स्थान पर संकल्प लेवाक चाही । सभ मातृभाषाक संरक्षण हेवा आवश्यक अछि । विभिन्न समुदायक मातृभाषा लोप भऽरहल अछि तैं संरक्षण आवश्यक अछि । मातृभाषाक संरक्षण नहि भेलासँ भावी पुस्ता अपन अतीतक ज्ञानसँ वञ्चित रहि जायत । भावी पुस्ताकेँ इतिहासक जानकारी देवालेल भाषाक संरक्षण जरुरी अछि । भाषा सुरक्षित राखव भाषा अन्वेषकक मात्र नहि सभक जिम्मेवारी होयत अछि । मातृभाषाक ग्रन्थक सुरक्षा इतिहासक सुरक्षा होयत । भाषाक संरक्षणसँ इतिहास मात्र नहि संस्कृति सेहो सुरक्षित होयत ।
मातृभाषाक संरक्षणक प्रसंग उठला पर मातृभाषा किएक पढी ? कि ई हमरा रोजगारी दऽ सकैत अछि ? एहेन प्रश्न प्रायः उठैत अछि । आर्थिक रूपसँ पाछाँ पडल समुदायमें ई प्रश्न स्वाभाविक भऽ जायत छैक । मातृभाषा संरक्षणक आधारभूत जग निर्माण नहि भेलासँ मातृभाषाके जोगेनाई विशाल चुनौती बनल अछि ।
शिक्षा में एहि विषय पर बहस होयत छैक जे प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देल जाए । बाल मनोवैज्ञानिक, शिक्षाविद, विद्वानक आग्रहकँे दरकिनार करैत सरकार मातृभाषाके वैकल्पिक आ अंग्रेजी, नेपालीके अनिवार्य केने अछि । ई सिध्द भऽगेल छैक जे मातृभाषामें शिक्षा बालकके उन्मुक्त विकासमे बेसी कारगर होयत अछि । अलग–अलग आर्थिक परिवेशके बालकमे विषय ग्रहण करवाक क्षमता समान नहि होयत अछि । आन भाषामे पढेला पर कठिनाई होयत अछि । मातृभाषाक माध्यमसँ जखन पढाओल जायत अछि तखन बालकके चेहरा उत्फुल्लित देखाएत अछि । भाषा सीखब निक बात छैक आ गुणकारी से हो । मुदा मातृभाषाक उपेक्षा कऽ जेहेन भाषा–संस्कार विकसित भऽ रहल छैक से खतरनाक छैक । बालक न अंग्रेजी जायन पावय छैक न मातृभाषा । एक खिचड़ी भाषाक संस्कार विकसित भऽ रहल अछि । अन्तर्राष्ट्रीय मानवअधिकारक तहत बालकके मातृभाषामे शिक्षा नहि देनाय मानवअधिकार हनन छैक । संयुक्त राष्ट्र संघक एक रिपोर्टके कथन छैक जे अधिकांश बच्चा स्कूल जायसँ एहि कारण दिक्कत मानैत छैक, किएक कि ओकर शिक्षाक माध्यम से नहि छैक जे भाषा घरमे बोलल जायत अछि । बाल अधिकार घोषणापत्रमे कहल गेल छैक बच्चाके ओही भाषामे शिक्षा देल जाय, जाहि भाषामे ओकर माता–पिता, दादा–दादी, भाइ–बहन एवं परिवारक सदस्य बात करैत छैक । मातृभाषक माध्यमसँ द्विभाषा (मैथिली–नेपाली) वा त्रिभाषा (मैथिली–नेपाली–अंग्रेजी) के विकास बालकके समग्र विकास आ शैक्षिक विकासक लेल महत्वपूर्ण अछि ।
भाषा, पहिचान, भेषभूषा, संस्कृतिप्रति अनुराग समाजमे विभेदक कारण नहि बनय । ई त स्वाभिमानक रक्षा हेतु अनिवार्य विषय थिक । नेपालक संविधान मातृभाषाक संरक्षण आ शिक्षामे भाषिक न्याय तथा अधिकार के स्थान देने अछि । भाषा आयोग, भाषाविज्ञान केन्द्रीय विभाग, प्रज्ञा प्रतिष्ठान, साझा प्रकाशन भाषा संरक्षणक राजकीय व्यवस्था अछि । बहुभाषिकताक रक्षार्थ गोरखापत्र तथा रेडियो नेपालद्वारा भऽ रहल बहुभाषिक प्रसारणसँ कोन नकारात्मक परिणाम देखल गेल छैक । गोरखापत्र आ रेडियो नेपालक एहेन योगदान मातृभाषाक रक्षार्थ मजबुत आधार बनल अछि ।
मातृभाषा मात्र संवाद नहि अपितु संस्कृति आ संस्कारक संवाहक छैक । भाषा आ संस्कृति केवल भावनात्मक विषय नहि, अपितु देशके शिक्षा, ज्ञान–विज्ञान आ तकनीकी विकाससँ जुडल अछि । मातृभाषाक द्वारा ही मनुष्य ज्ञानके आत्मसात करैत अछि, नवीन सृष्टिक सृजन करैत अछि । कोनोहु राष्ट्रक पहिचान ओकर भाषा आ ओकर संस्कृतिसँ होयत अछि । विचार एवं भावनाक अभिव्यक्ति मूलतः मातृभाषामे होयत अछि । विश्वके विभिन्न देशमे मातृभाषाक स्थितिके अध्ययन आ विश्लेषणसँ ज्ञात होयत अछि जे विविध राष्ट्रक समृद्धि आ स्वाभिमानक जैड मातृभाषासँ सिंचित भऽ रहल छैक ।
सम्प्रति लेखक मैथिली साहित्य परिषद् राजविराज, सप्तरीमें सचिव छथि ।