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भक्ति गजल

मोनक महिसासुर सबहक संघार करू माँ

मानसिक रूपेण अबलके उपचार करू माँ॥

सदति सद्भाव,मानवता उतपन्न हैत रहए,
कनकनमे एहेन शोणितक संचार करू माँ॥

लेसु नवविहानक दीप,नै अन्हार करू माँ
घरघर शान्ति आनि,दरिद्र बहार करू माँ॥

आन्हर बनल छइ शाषक सभ अइ राष्ट्रमे,
बाट नै देखेबै तु कि हेत विचार करू माँ॥

कल जोडि एक्केटा प्रार्थना विद्यानन्दुके,
डुबि रहल य देशक नैया, पार करू माँ॥
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© विद्यानन्द वेदर्दी