स्वेताम्बर राउत
देखु–देखु यौ भैया मधेशीके रबैया
माय मधेश भ’ रहल अछि बेहाल
मधेशी नेतागणके नहि अछि कनिको खियाल
सब अछि अपन अपना धुनमे खुशहाल ।।
बढि रहल अछि शोषण भ्रष्टाचार
वर्तमान संविधानोमे नहि भ’ सकल पुनर्विचार
मचि रहल अछि सर्वत्र स्र्वत्र हाहाकार ।।
संवैधानिक हक देवाक लेल नहि अछि तैयार
करैए षडयन्त्र द’ के प्रलोभन बनबए सरकार
तानाशाही चुनाव पर करियो विचार
जाहीस’ होबए मधेशमे अपन अधिकार ।।
मिटा देलक मधेशक भुगोल, नहि रहल मधेशक रमण
आप्रवासन बढा रहल अछि, मधेशसँ मिटा देत नामो निसान
जनमत संग्रहके लेल होइयो आब तैआर
यौ भैया नेतागण कएलक काला संविधानके स्वीकार
करैए चुनावक प्रचार भ’ जाउ आब होसियार
एहन बहुरुपिया नेताके जनजनस’ करु प्रतिकार ।।
देखियो हिनका सबके तुच्छ विचार
राखि मधेशके बन्हकी, स्वार्थमे फँसल अधिकार
मेटाकए मधेशक पहचान, स्वार्थे सब करैए अभियान ।।
कहत स्वेताम्वर निःस्वार्थ भ’ करियौ विचार
मधेशक बुद्धिजिवी, कर्मचारी विश्लेषक आ’ पत्रकार
कोना होएत भावी सन्ततिके दासतास’ उद्धार
आजादी बिना भेटत नहि अधिकार
यौ भैया सब मिलिके बनाबियौ मधेश सरकार ।।।