गजेन्द्र गजुर
बच्चो मरए ,बुढवो मरए ललि अधिकार
सहिद क आत्मा जरए,डगमगाई नै सरकार ।
धुधुवा क गोलीबारुद छाती मे मारे नित दिने ।
कतेक दिन ओगरवै नेपाल -आब लडबै भिने ।
के सुनतै हो माइ मधेश क पुकार ।।
थालम थाल लहु छिरियाल मधेश क आचर मे ।
टिस चिल्हारि लिखल जेत इतिहासक पात्थर मे ।
जनि मिटतै माए मधेशक ललकार ।।
चैनकोना आबि ता बना सुतै सहिदक तकिया ।
शासक जत विदेशी ,स्वतन्त्रता हेत कहिया ।
मधेशी जनता चयन करते निबार ।।