करुणा झा
किया मंगई छी अलगे राज ।
किया करैत छि एहन काज ।
जखन सगरे नेपाल अपने अछि ।
सब मिली कऽ बाजु हम एक छी ।
आवाज लगाबु हम एक छी ।
देश प्रदेश मधेशक सपना ।
जुनि बाटु अपने में अपना ।
सर्व भाषा सर्व संस्कृति के मान भेटय ।
से संविधान हो अपना ।
लिम्बुवान किया मांगि रहल छी ।
सगरे नेपाल जौ अपने अछि ।
सब मिली कऽ बाजु हम एक छी ।
आवाज लगाबु हम एक छी ।
चाहे छी हम पहाड के बासी ।
छी हम चाहे मधेश मे ।
कतउ छी हम छी सबस पहिले नेपालवासी ।
थरुहट किया मांग करै छी ।
सगरे नेपाल जौ अपने अछि ।
सब मिली कऽ बाजु हम एक छी ।
आवाज लगाबु हम एक छी ।
शोषण, दमन, भेदभाव, मिटाबी ।
अपन संस्कृति के सम्मान बढावी ।
सब मिली कऽ सब सँ सुन्दर अप्पन देश बनाबी ।
मिथिला राज किया मांग करै छी ।
सगरे नेपाल जौ अपने अछि ।
सब मिली कऽ बाजु हम एक छी ।
आवाज लगाबु हम एक छी ।
स्वार्थमे सब बनल अछि आन्हर ।
एक दोसर पर फेंके पाथर ।
टुकडा टुकडा भऽ कऽ हम सब बिखडी जाई ।
नै एहन निति वनाबी ।
निति गलत अछि काठमांडु के ।
हम सब ओइ में नई भरमाबी ।
पुरानेपाल त सबके अछि ।
सब मिली कऽ बाजु हम एक छी ।
आवाज लगाबु हम एक छी ।