यतिबेला बलिउडका महान हस्ती महानायक अमिताभ बच्चनले आफ्नी नातिनी नव्या नवेली र आराध्याको नाममा लेखिएको पत्र सामाजिक सञ्जालमा भाइरल बन्न पुगेको छ ।
हिन्दी भाषामा लेखिएको उक्त पत्र नव्या नबेली र आराध्याकालागि मात्र नभई सम्पूर्ण किशोरी एवम् महिलाहरुकालागि नै प्रेरणादायी रहेको छ । उक्त पत्रमा महानायक अमिताभले आफ्नो शर्तसँगै स्वाभिमानीपूर्ण जीवन जीउन समेत हरेक छोरीहरुलाई प्रेरित गरेको छ ।
नारी भएर धर्तीमा पाइला टेकेपछि कति संघर्षसँग जुझ्नुपर्छ । पुरुषप्रधान समाजमा महिला ईच्छा आकांक्षाहरुसमेत पुरुषले नै तय गर्ने गरेको विद्यमान अवस्थालाई मार्मिक ढङ्गले पत्रमा कोरेका छन् । महिलाले पुरुषप्रधान समाजमा जीवनभरी सिमित घेराभित्र बस्नुपर्ने हुन्छ । पुरुषद्वारा बनाईएको यस्तो मजबुत पर्खालबाट निस्किन चाहे पनि त्यसबाट उन्मुक्ति पाउन कठिन हुन्छ ।
आम महिला होस या सेलिब्रेटी, दुवैको जीवनमा महिला भएकै कारण असंख्य समस्याहरुसँग सामना गर्नुपर्ने हुन्छ । महिलामाथि थुपारिने परिबन्ध एवम् पर्खालहरुबाट अलग भएर जीवनलाई आफ्नै शर्त अनुसार जीवन जीउन महानायक अमिताभले प्रेरणादायी भावना पत्रमा अभिव्यक्त गरिएको छ । दुनियाँको कुरालाई वास्ता नगरी कुन लुगा लगाउने, कसरी आफ्नो जीवनको बाटो पहिल्याउनेलगायतका निर्णय आफैले गर्नुपर्नेलगायतका महत्वपूर्ण एवम् प्रेरणादायी शब्दहरु पत्रमा कोरिएको छ ।
पुरा पत्र पढ्नुहाेस
तुम दोनों के नाजुक कंधों पर बहुमूल्य विरासत की जिम्मेदारी है । आराध्या, तुम्हारे परदादाजी, डा‘. हरिवंश राय बच्चन…और नव्या, तुम्हारे परदादाजी, श्री एचपी नंदा जी की विरासत. तुम दोनों के परदादाजी ने तुम्हें सरनेम दिए, ताकि तुम ख्याति और सम्मान का आनंद उठा सको ! भले ही तुम दोनों नंदा या बच्चन हो लेकिन तुम दोनों लड़की हो…महिला भी हो !
और क्योंकि तुम महिला हो, लोग तुम पर अपनी सोच, अपना दायरा थोपेंगे । वे तुम्हें कहेंगे कि कैसे कपड़े पहनो, कैसे व्यवहार करो, किससे मिलो और कहां जाओ.लोगों के विचारों में दबकर मत रहना । अपने विवेक से अपनी पसन्द खुद तय करो ।
किसी को भी ये तय करने का हक मत देना कि तुम्हारे स्कर्ट की लंबाई तुम्हारे चरित्र का पैमाना है । किसी को भी ये तय करने का हक मत दो कि तुम्हारे दोस्त कौन होने चाहिए, तुम्हें किससे दोस्ती करनी चाहिए । किसी भी वजह से शादी मत करो जब तक कि तुम शादी न करना चाहो ।
लोग बाते करेंगे । वे बहुत ही ही बुरी चीजें कहेंगे । लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि तुम सबकी बातें सुनो । इस बात की कभी परवाह मत करो–लोग क्या कहेंगे । अंत में अपने लिए गए फैसलों का परिणाम का सामना सिर्फ तुम्हें ही करना होगा. इसलिए दूसरों को अपने लिए फैसले मत लेने दो ।
नव्या–तुम्हारे नाम और सरनेम की वजह से तुम्हें मिला विशेषाधिकार उन मुश्किलों से तुम्हें नहीं बचाएगा जिनका सामना एक महिला होने के कारण तुम्हें करना पड़ेगा.आराध्या–जिस समय तुम इसे देखोगी या समझोगी, हो सकता है मैं तुम्हारे आसपास न रहूं । लेकिन मुझे लगता है कि आज जो मैं कह रहा हूं वह उस समय भी प्रासंगिक रहेगा । यह महिलाओं के लिए एक मुश्किल, मुश्किल दुनिया हो सकती है लेकिन मुझे यकीन है कि तुम जैसी महिलाएं ही इसे बदलेंगी. अपनी खुद की सीमाएं बनाना, अपनी पसंद तय करना, लोगों के फैसलों से ऊपर उठना, हो सकता है ये आसान न हो. लेकिन तुम !… लेकिन तुम हर महिला के लिए एक उदाहरण बन सकती हो ।
ऐसा ही करना और तुम दोनों अब तक मैंने जितना किया है उससे कहीं ज्यादा करोगी, और यही मेरे लिए सम्मान की बात होगी कि मैं अमिताभ बच्चन नहीं बल्कि तुम्हारे नाना और दादा के तौर पर जाना जाऊ !!