- विद्यानन्द बेदर्दी
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सदति हमरा तु मारैत रहले,
जेना बिजी मारैय साँपके
सदति दमन तु करैत रहले,
बात करैछे मेलमिलापके?
एक-एक बदला लेबौ आब,
तो बुझैछे कि अपनेआपके?
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ओ मारैत रहतै,फुसिएके सदित मरैत रहबे?
भाइ रे कि अहिना टुकुर टुकुर तकैत रहबे?
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हे रे देश चलबऽ तोरा सन सन आब बैमान नै चाहीँ
कान खोलि सुनिले,मधेश विरोधी संविधान नै
चाहीँ॥
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रे जालिम तु,रे कायर तु,हे रे बैमान तु
जकरे सँ पेट चलौ,तकरे लेले जान तु
कदापि नै स्विकारबौ हम मधेश बासी
अपने लऽ राखिले,अपन संविधान तु॥